परिवार
परिवार
दुनिया एक बगीचा जिसके हम सब फूल हैं।
जाति धर्म में बांधकर ना कर हमको दूर।।
यूं तो जाति धर्म का मर्म मुझको ना समझ आया।
हम आपस में हैं एक बस यही बात मैं जान पाया।।
तेरे मेरे चक्कर से निकलो अब तुम बाहर ।
दुनिया है एक परिवार इसको करो स्वीकार ।।
