प्रीत के रंग
प्रीत के रंग
होली का त्यौहार है प्रीत के रंग
खुशियाँ है अनंत अपनों के संग
आयी होलिका प्रह्लाद को जलाने
लिटायी अग्नि में गोदी में बिठाके
सुमिरन करके प्रह्लाद लेके विष्णु का नाम
भष्म हो गयी होलिका, बच गया प्रह्लाद
वरदान का किया जो उसने दुरुपयोग
खुद ही जल गई,किया जो उसने गलत उपयोग
इसी से नाम पड़ा ये, होली का त्यौहार
जो करता है बुराई पर अच्छाई का वार
होली का त्यौहार है प्रीत के रंग
खुशियाँ है अनंत अपनों के संग
रंग गुलाल अबीर डालते
प्रेम भाव से गले लगाते
बैर भावना छोड़ के अपनी
मिलजुलकर गीत हैं गाते
बृज की होली मथुरा की होली
वृन्दावन में राधा-कृष्ण की जोड़ी
बड़ा ही पवित्र और पावन होली का मौसम
मिटा देते गिले-शिकवे हो जो एक दूजे के संग
बुराई पर अच्छाई का वार है
यही होली का त्यौहार है।