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Adarsh Raj

Romance

4  

Adarsh Raj

Romance

प्रेम...

प्रेम...

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शब्दो में सिमट न पाए वो प्रेम है 

आँखों में दिख जाए वो प्रेम है 

जो महकता है इत्र ,तेरे मेरे अंदर 

वो एहसास ही तो प्रेम है 

एक नशा अजीब सा रहता है 

दिन रात दिमाग में एक ही शख्स रहता है 

किसी का कहा सुना समझ आता नहीं 

सिर्फ उसी पर भरोसा होता है 

प्रेम प्रसंग समझना, सबके बस की बात नहीं 

गैरों को तोह ये, पागलपन लगता है 

ना दुनिया की परवाह ना किसी का डर 

ये जब होता है ....... 

सिर्फ उसी को पता होता है .....जिसे होता है 


प्रेत आएगा 

किताब से निकाल ले जायेगा प्रेमपत्र

गिद्ध उसे पहाड़ पर नोच-नोच खायेगा


चोर आयेगा तो प्रेमपत्र ही चुराएगा

जुआरी प्रेमपत्र ही दांव लगाएगा।


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