प्रेम की खोज
प्रेम की खोज
प्रेम साश्वत है, प्रेम अटल विश्वास है।
प्रेम से ही उदय हुआ ये जग संसार है।
प्रेम से शक्ति, प्रेम से भक्ति
प्रेम से ये जीवन उजागर है।
प्रेम की खोज में मानव दर दर भटका,
प्रेम का ही वो मारा है।
प्रेम का मर्म जो जान गया, मिट गया तम मानुष मन का।
प्रेम से ही ये मन निर्मल हो उठा,
प्रेम से ही प्रीतम प्रिय बने इस जीवन का।
प्रेम की खोज में प्रीतम भटके,
तन मन की सुधी खोय।
जिनको प्रेम गर मिल गया तो सदा प्रेम बनाए रखना,
न दूर होना न दूर करना अपने प्रीत में खो जाओ ऐसे
जैसे सदियो से चकोर चांदनी में खो जाती ।
