प्रार्थना
प्रार्थना
वही दाना देना प्रभु, जिस पर मेरा नाम हो।
कर्म ऐसा हो मेरा, जिसमें सबका कल्याण हो।।
जीवन के हर क्षण में, मुझे तेरा ध्यान हो।
मेरीं नजरों में सदा, सब-जन एक समान हो।।
बंधुत्व भावना ही मेरा, परम ज्ञान हो।
प्रेम का दर्पण ही, मुझे सरोकार हो।।
धन-दौलत से परिपूर्ण, सारा जहान हो।
मेरा मन लोभ से अज्ञान हो।।
दीप जल, जगत में, तम का नाश हो।
सब जन को अपने, कर्तव्य का एहसास हो।।
ईष्या, वैमनस्य, द्वेष से, मन मेरा वैराग्य हो।
हे जगत भाग्य विधाता : तुम ही मेरा भाग्य हो।।