प्राणि प्रकृति संरक्षण
प्राणि प्रकृति संरक्षण
विलुप्त हो गए कितने ही
प्राणि बचा नही अवशेष
डायनासौर आप कल्पना
के शेष।।
प्राणि प्रकृति समन्वय ब्रह्मांड अस्तित्व काल समय।।
हर प्राणि का महत्व चींटी
या रेंगता केंचुआ सबका
अवसर उपयोग।।
गौरैया नीलकण्ड जटायु वंश
धीरे धीरे बन रहे अतीत किस्सों
के अंश।।
विलुप्त के संरक्षण का
ना जाने कितने चलते
आंदोलन कार्यक्रम।।
टाइगर संरक्षण गौरेया
संरक्षण बाघ संरक्षण
सावधान होगा अब मानव
संरक्षण।।
प्रकृति प्राणि संरक्षित संवर्धित
बढ़ता नही प्रदूषण।।
नेवला सियार शाही अब कभी
कही दिख जाते लल्लू चमगादड़
अशुभ युग उपयोगी।।
गिलहरी युग मानव से मांगती
प्यार भय है बन जाये ना इतिहास।।
मानव से करती गुहार अपने
मन वि
चार में एक कोना दे दो
ना हो युग से मेरा महापरिनिर्वाण।।
लौट कर फिर ना आऊ देख ना
पांऊ युग संसार ।।
मानव तुम शक्ति बल बुद्धि के स्वामी
हम अधम प्राणि मेरे लिये तुम हो भगवान।।
मेरे तो शत्रु अनेक बानर
बिल्ली सांप स्वान ।।
कभी इस डॉल कभी उस डाल
जान बचाती भागती बेहाल।।
मानव तुम मेरे रक्षक
मेरी दुनियां के बागवान
तुझे पुकारूँ सुनो मेरी
वेदना की आवाज़।।
बन जंगल हुए समाप्त
जंगल के बानर अब नगर
मोहल्लों में करते उत्पात।।
हनुमान के नाम पर संरक्षित
ना मैं किसी देव की वाहन।।
ना मुझे किसी देव का आशिर्वाद
मेरे लिये युग मानव ही देव समान।।