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meena prajapat

Romance

4  

meena prajapat

Romance

(पन्ना- पन्ना बिखर गया)

(पन्ना- पन्ना बिखर गया)

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कहीं मुद्दतों से दिल मैं संजोए रखा था        

कभी ना आने देंगे दूरियां रिश्तों में            

फिर भी ना जाने क्या हो गया।          


अरमानों का पन्ना- पन्ना बिखर गया         

कहीं ख्वाब भी हकीकतो में बदल गए थे        

कभी ना छूटे साथ अपना यह ठान बैठे थे       

फिर भी न जाने क्या हो गया।       &nb

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अरमानों का पन्ना -पन्ना बिखर गया        

कहीं प्यार लुटता बेहद कहीं अपनेपन का एहसास था

कभी ना वह दिन आए जब तू ना नजर आए     

फिर भी न जाने क्या हो गया।            


अरमानों का पन्ना- पन्ना बिखर गया        

कहीं एक दूसरे को औरों की नजर में ऊंचा उठाते थे

कभी ना सोचा था एक दूसरे को यू रुला देंगे।    

फिर भी न जाने क्या हो गया

अरमानों का पन्ना- पन्ना बिखर गया।


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