(पन्ना- पन्ना बिखर गया)
(पन्ना- पन्ना बिखर गया)
कहीं मुद्दतों से दिल मैं संजोए रखा था
कभी ना आने देंगे दूरियां रिश्तों में
फिर भी ना जाने क्या हो गया।
अरमानों का पन्ना- पन्ना बिखर गया
कहीं ख्वाब भी हकीकतो में बदल गए थे
कभी ना छूटे साथ अपना यह ठान बैठे थे
फिर भी न जाने क्या हो गया। &nb
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अरमानों का पन्ना -पन्ना बिखर गया
कहीं प्यार लुटता बेहद कहीं अपनेपन का एहसास था
कभी ना वह दिन आए जब तू ना नजर आए
फिर भी न जाने क्या हो गया।
अरमानों का पन्ना- पन्ना बिखर गया
कहीं एक दूसरे को औरों की नजर में ऊंचा उठाते थे
कभी ना सोचा था एक दूसरे को यू रुला देंगे।
फिर भी न जाने क्या हो गया
अरमानों का पन्ना- पन्ना बिखर गया।