पलक झपकते!
पलक झपकते!
मिलते नहीं अब मुझे
मेरे कदमों के निशां
कहाँ खो गयी है तू ऐ जिंदगी !
पलक झपकते !
बार बार झाँकती फिरती हूँ
मन के झरोखों से..
उम्मीदों का टूटा मकान
पलक झपकते !
कशमश में हूँ...?
उतरुँ पार या इस पार ही रह जाऊँ
कहीं डूब ना जाये कश्ती
मझधार में ही
पलक झपकते !
