पितृ सत्तात्मक समाज में नारी...🌿
पितृ सत्तात्मक समाज में नारी...🌿
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किसी की छिपी हुई
मुस्कान है
समाज के दायरे की
परिभाषा है
समाज का आधार है
आधुनिक समाज का
वही तो
निर्माण है
समाज का सरल सहज
श्रृंगार
समाज का दर्पण है
पिता द्वारा दिया
गया दान है
पितृ सत्तात्मक
समाज में
सब कुछ
देखती है सुनती है
जानती है
सब कुछ सहती है
फिर भी निशब्द है
क्योकि
इस पितृसत्तामक समाज में
बेटी है वो।