पिता
पिता
गम सीने में दबाए वो चेहरे से अक्सर मुस्करा देता है।
वो नन्हें से परिंदों का बड़ा आसमां होता है।।
जिसने जवानी गिरवी रख दी बच्चों का कल बनाने में।
ये पिता भी मानो तो जमीं पर इक खुदा होता है।।
वो अकेला बैठा अक्सर ही रो देता होगा।
बच्चों की खातिर क्या क्या खो देता है।।
बिन मतलबी मोहब्बत बस पिता निभाता है।
ये पिता हर मुश्किल में जीना सिखाता है।।
पिता को क्या मैं लिखूं पिता ने मुझे लिखा है।
जिंदगी की हर मुश्किल में पिता ही साथ दिखा है।।
