पिता
पिता
तुम्हारे आशीर्वाद से
हमारे पास आज सब है।
लेकिन वो सुकून ढूढ़ने से भी,
अब नहीं मिलता है।
अभावों में भी
हम चैन से रहते थे।
रूखी सूखी खा कर भी
चैन से सो लेते थे।
तुम्हारी छत्र छाया ही
हर मुश्किल से बचा लेती थी।
तुम्हारा रोम रोम
हम पर जैसे छाया करता था।
सारी मुश्किल तुम
अकेले ही झेल जाय करते थे।
पिता का हर फर्ज
खूबी से पूरा करते थे।
हमारा वक़्त आया
तब तुम चले गए।
नही दे सके हम
दो पल का आराम ।
पिता तुझे हम
नमन करते हैं।
हर जन्म में
यही छत्र छाया मिले
यही कामना करते हैं।
