:फिर से
:फिर से
जियूंगी जिंदगी को फिर से,
अब नई उमंग तरंग में फिर से,
लिए अपनी तमन्नाओं को फिर से।
अपने संग में फिर से....
थाम हाथ में तमन्नाओ को फिर से,
खिलखिलाऊँगी मस्त हो फिर से,
नए सफर नई उम्मीदों को फिर से।
रौशनी सी जगमगाऊँगी फिर से...
ज़िन्दगी के पांच दशक यूँ ही फिर से,
बीत गए तो क्या हुआ जिऊंगी फिर से,
बचपने को करीब से जिऊंगी फिर से।
जिऊंगी अपनी जिंदगी फिर से...
मैं अपना नसीब बनाऊँगी फिर से,
मस्त हो जिऊंगी जिंदगी फिर से,
कोई साथ हो न हो सोचूं न फिर से।
जिंदगी खुशी बिताऊँ फिर से...
......फिर से....