नया संस्करण
नया संस्करण
बीत गई वो निशा अपार जो अथाह लंबी गहरी थी
तू भूल जा हर बात जो तेरे कष्ट भरी दुख दाई थी,
नई भोर बनी है प्रहरी तुझे नरम सहलाने को
नीर धुला चेहरा देख सुन पायल की खनक को,
शीतल पवन उजला गगन गोल घूमती धरा मगन
शीश परबत पुकारते सुगंधित बन करते अभिनंदन,
मन में नव धारणा ले, जल से कर ले स्वयं संकल्प
ख़ुद से रह प्रसन्न सदा कर काज बस खुद के लिए ,
किंतु परन्तु ना रहे कोई ना कोई बाधा आड़े आ पाए
बन जा दृढ़ सच्ची मंशा से, शेष न रहे कोई विकल्प,
प्रकृति की गोद में बैठ छेड़ कलम के मीठे सुर ताल
नए संस्करण से लिख के गीत कर दे सबको निहाल ।