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Suvayu Pal

Drama Fantasy

2.8  

Suvayu Pal

Drama Fantasy

फिर क्यों है छायी ये ख़ामोशी

फिर क्यों है छायी ये ख़ामोशी

1 min
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है ये ख़ामोशी कैसी

क्यों है चुप आज तू

खोल दे तू वो पिंजरा

और तोड़ दे उन ज़ंजीरो को !


बातें जो दबा के रखी है

दिल में तूने इतने दिनों से

बनाके चिंगारी उसे

जला दे तू हर पापी को !


सपने जो तूने है देखे

दिखा तू इस दुनिया को भी

खोल दे तू भी अपने पर

और उड़ जा तू आसमान मे !


अगर रोकना चाहे तुझे यह समाज

न करना परवा तू इनका

है अग्नि बसी तेरी त्रि-नयन में

कर देना भसम तू भी !


ये दुनिया तेरी भी उतनी है

जितना है ये सबकी

सपने है आज़ाद आज भी

याद ये बस तू रखना !


रोके से न रुके तू

तोके से न टूटे

उड़ जा तू दूर गगन में

जहा सब तुझे पूजे !


तो फिर क्यों है छायी ये ख़ामोशी...


खोल के तू पिंजरा

तोड़ के इन ज़ंजीरो को

उड़ जा दूर गगन में

और छु ले तू आसमान को... !


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