पेड़ की पुकार
पेड़ की पुकार
तुम सूखे इस उपवन में,
पेडों का एक बाग लगा दो।
रो -रो कर पुकार रहा हूं,
मत नाता तोड़ो धरती से हम सबका।।
इस धरती पर सुन्दर छाया,
हम पेड़ों से बनी हुई है।
मधुर - मधुर ये मंद हवाएं,
अमृत बनकर चली हुई हैं।।
हमीं से नाता है जीवों का,
जो धरती पर आयेंगे।
हमीं से रिश्ता है जन जन का,
जो इस धरा से जाएंगे।।
घर-घर में पेड़ लगाओ,
हर प्राणी में आस जगा दो।
रो-रो कर पुकार रहा हूं,
मत नाता तोड़ो धरती से हम सबका।।
