लिखूं मैं किस तरह
लिखूं मैं किस तरह
लिखूँ मैं किस तरह से पुण्य रिश्तों की कहानी को?
लिखूँ मैं किस तरह भटकी हुई पागल जवानी को?
युगों कि शाश्वत प्रतिमान कितना और टूटेंगे?
लिखूँ मैं किस तरह गिरते हुए आँखों के पानी को?
लिखूँ मैं किस तरह पहली नज़र का मूक अभिलाषा?
लिखूँ मैं किस तरह मौन अँधेरे कि विकल भाषा?
लिखूँ मैं किस तरह सपनों की दुनिया की कहानी को?
लिखूँ मैं किस तरह से कल्पनाओं की जवानी को?
लिखूँ मैं किस तरह से पीर का मन में हिमालय है?
लिखूँ मैं किस तरह से वेदना का जो शिवालय है?
अमंगल पान कर तू लेखनी मंगल कथा लिख दे।
मिटा दे लेखनी सर्वत्र दु:ख के जो भी आलय है।
