पापा
पापा
बेटी की एक मुस्कान
पापा के लिये खास होती है।
बेटी के हार में भी
पापा को जीत दिखती है।
बेटी के नन्हे नन्हे आंखों से
देखने लगते हैं ख्वाब जिंदगी के
खुद को भूल कर पापा बेटी को
धड़कन के पास रखते हैं ।
एक अलग सी दुनिया होती है वह
छोटे-छोटे ख्वाहिशों की
तितली को पकड़ने के लिए
कभी-कभी पापा भी बच्चे बन जाते हैं।
वो हँसती खिलती दुनिया
चांद सितारों से प्यारी होती है।
उंगली पकड़ के पापा की
सारा विश्व देख जाती है।
नदियों के झरनों के जैसा
होता है पापा का प्यार
जो पापा के चले जाने के बाद
भी यादों के सहारे साथ हमेशा रहता है।