पापा की उम्मीद
पापा की उम्मीद
मैं जैसा भी हूँ , आप का बेटा हूँ ।
पापा की अधूरे सपनों का उगता सूरज हूँ ।।
मेरे सपनों के लिए पापा ख़ुद की ज़िन्दगी तबाह की है ।
उनके जागतें- सोते खुली आंखों की ध्रुब तारा हूँ ।।
मुझसे ज़्यादा, पापा इश्तिहारों की ख़बर रखतें हैं।
मैं आदमी बन जाऊं ,इसलिए रोज़ अख़बार पढ़ते हैं।।
जब मैं गिरा ,उल्का पिंड की तरह ,सारे सपनें हुए धुमिल ।
आज मैं पापा का असफल बेटा हूँ ।।
मुक्क़दर को दोष दूं या खुद को ।
मैं , पापा की आँखों का टूटा हुआ तारा हूँ।।
नज़र न झुकने देंगे , हर क़दम कभी ।
आख़री सांस तक तेरे लाठी का सहारा हूँ।।
मैं जैसा भी हूँ , आप का बेटा हूँ ……।
