पापा है ना
पापा है ना
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जब भी जीवन मे उलझने आयी,
रास्ते की जब ठोकर खाई ।
किसी चीज को पाने की तमन्ना हुई,
या छोटी सी बात से उदास हुई,
हौसला डगमगा,
हार हुई।
तब -तब साथ आपका पाया,
गुरु बनकर राह दिखायी,
तो कभी हाथ थामकर खडा किया।
दौडना-चलना गिरकर संभलना,
यह पाठ आपने सिखाया ।
ओर क्या लिखे आपके बारे मे पापा,
आप ही ने तो अपनी बिटिया को इस लायक बनाया।