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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Inspirational

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Inspirational

ओलंपिक और भारत

ओलंपिक और भारत

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सब लोग बड़े खुश हैं जैसे कि हमने जंग जीत ली हो 

सब एक दूसरे को बधाई दे रहे हैं

जैसे कि हमने विश्व विजय कर ली हो 


एक स्वर्ण दो रजत चार कांस्य पदक

भारत की झोली में आ गये 

इस स्वर्णिम उपलब्धि पर 

देश में खुशियों के बाग लहलहा गये 


आखिर तेरह साल बाद स्वर्ण मिला 

हर्ष से हम सबका चेहरा खिला 

नीरज चौपड़ा ने तिरंगे की शान बढ़ाई

तो हॉकी ने फिर से खोई प्रतिष्ठा पाई 


इकतालीस साल से सूखा पड़ा था 

अब जाकर थोड़ी बरसात हुई है 

भारत की बेटियों के कारण

देश की प्रतिष्ठा में बढ़ोतरी हुई है 


भारोत्तोलन में चानू ने रजत दिलाया 

रवि दहिया ने ऐसा दाव लगाया 

कुश्ती प्रतियोगिता में भारत को 

फिर एक बार रजत पदक दिलवाया 


बजरंग पूनिया बजरंगी बन गये 

पी वी सिंधू ने इतिहास रच दिया 

लवलीना के जबरदस्त मुक्कों ने 

सामने वाले को धराशाई कर दिया । 


माना कि यह सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है 

मगर सामने यह यक्ष प्रश्न है 

कि 140 करोड़ वाले देश में 

क्यों इतना फीका प्रदर्शन है ? 


पदक विजेताओं को ग़रीबी में 

हमने संघर्ष करते हुए देखा है 

और एक छुटभैया क्रिकेटर को भी 

दौलत शोहरत में चूर होते हुए देखा है 


कहने को राष्ट्रीय खेल हॉकी है 

मगर वह कहीं दिखाई नहीं देती 

गली गली में तो हम सबको 

बस क्रिकेट की गूंज ही सुनाई देती 


खेलों के प्रति नजरिया ठीक नहीं

सुविधाएं भी बहुत अच्छी नहीं 

खेलों का सरकारी बजट भी

होता कोई बहुत ज्यादा नहीं । 


हमें नज़रिया बदलना होगा 

जन आंदोलन करना होगा 

पढ़ने में जैसे नाम हासिल किया है 

अब खेलों में भी वैसा ही करना होगा।



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