नृत्य और गीत
नृत्य और गीत
झन - झन की झंकार ,मीठे स्वरों की पुकार ,ये नृत्य और गीत ही ,भरते जीवन में संचार।
उदास मन जब कोई साथ तके ,तब संगीत सबसे उत्तम साथी बने ,
मन थिरकने का करे जब बार - बार ,नृत्य का विकल्प होता हर बार।
युगों - युगों से ये कलायें हमे लुभा रहीं ,नई - नई विधाओं में अब आ रहीं ,हर बूढ़े और बच्चे के दिल पर करती वार ,गीत - संगीत , नृत्य की लीला अपरम्पार।
जहाँ गीत मनुष्य को सभ्य बनाती ,वहीं नृत्य उसमे नया जीवन लाती ,
जो इन दोनो से करे परहेज हर बार ,उस मनुष्य का जीवन है सबसे बेकार।
इसलिये जब तक जीवन है ,अपनी हर साँस में संगीत भरो ,
जितना हो सके इस शरीर से ,दिन - प्रतिदिन नृत्य करो।
एक दिन ये भी मिट्टी में मिल जायेगा ,गीत - नृत्य इसको बीमारी से बचायेगा ,
खुलकर जीवन जीना भी एक शान है ,हर जीवन की अपनी एक पहचान है।
झन - झन की झंकार ,मीठे स्वरों की पुकार ,ये नृत्य और गीत ही ,भरते जीवन में संचार।|
