निर्लिप्त नहीं है
निर्लिप्त नहीं है
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जानता हूँ मैं
तुम हो साथ जब तक
तो अच्छाई है साथ मेरे..
अच्छे लोग बुरे नहीं होते
न बुरा होने देते है...
अच्छे लोग तुम जैसे होते है
या होते है बिल्कुल तुम्हारी तरह...
इसलिए आ ही जाते है
मीठे ख्याल लिए और बिछ जाते है
कदमों पर तुम्हारे....
सुन रही हो न
सच्ची हो तुम और सचमुच में
सच्चे सपने लिए
चली आती हो चिड़िया सी
फुदकते हुए -चहचहाते हुए
और बुन देती हो मेरे जीवन के
ढहते घोंसले को...
जानता हूँ तुम मेरी नहीं हो
फिर भी रहती हो दिल में
बसी हो दिमाग में....
देखो न अनचाहे ही करने लगा हूँ प्रेम
अनचाहे ही निभाने लगा हूँ अनचाहा रिश्ता
जो मेरे प्रेम सा है निराकार
मगर निर्लिप्त नहीं है
मगर निर्लिप्त नहीं है