निर्भया
निर्भया
न खेलो मुझसे ऐसे
न देखो मुझे ऐसे
हूँ एक पवित्र आत्मा
न बख्शेगा तुम को
परमात्मा
न बनाओ मुझे अपनी
हवस का शिकार
बनके दुल्हन करना
मुझ को भी श्रृंगार
एक पल भी न आया
अपनी माँ-बहन का ख्याल
आखिर क्यों किया मेरी
इज़्ज़त को तार तार ??
क्या थी खता मेरी?
क्या था कसूर मेरा ?
बस यही हूँ मैं एक "नारी''
है शायद हर 'निर्भया' की
यही कहानी !!