" नीलाम हो गए | "
" नीलाम हो गए | "
यूं तो शोहरत थी खास थे हम
मगर तुम्हारी खातिर हम आम हो गए।
कभी उगता सूरज हुआ करते थे
तुम्हारे खातिर ढलती शाम हो गए।
सब तुम्हारी खातिर था मगर
जब तुमने हमारी कीमत पूछ ली
हम किसी और को नीलाम हो गए।
यूं तो शोहरत थी खास थे हम
मगर तुम्हारी खातिर हम आम हो गए।
कभी उगता सूरज हुआ करते थे
तुम्हारे खातिर ढलती शाम हो गए।
सब तुम्हारी खातिर था मगर
जब तुमने हमारी कीमत पूछ ली
हम किसी और को नीलाम हो गए।