Ragini Singh

Romance

5.0  

Ragini Singh

Romance

" नीलाम हो गए | "

" नीलाम हो गए | "

1 min
388


यूं तो शोहरत थी खास थे हम 

मगर तुम्हारी खातिर हम आम हो गए।


कभी उगता सूरज हुआ करते थे 

तुम्हारे खातिर ढलती शाम हो गए।


सब तुम्हारी खातिर था मगर 

जब तुमने हमारी कीमत पूछ ली

हम किसी और को नीलाम हो गए।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance