STORYMIRROR

Ishani Sinha

Romance

3  

Ishani Sinha

Romance

नहीं रखते

नहीं रखते

1 min
202

हम भूलते हैं ज़रा जल्दी, 

लोग और उनकी यादें, 

हम अपनी यादों में

बेकार के ज़माने नहीं रखते।


वो जो होते थे कभी करीब,

उनकी बेरुखी, बेवफाइयाँ,

अपने आंसुओं से रंगे ख्वाब

अब हम अपने सिरहाने नहीं रखते।


चाहत के आशियाने में

चुनकर रखे हैं कुछ लोग हमने,

हम खोये हुए वादों की

दुहाइयाँ नहीं रखते।

 

वो जो बताते फिरते हैं

पुराने किस्से कहानियां,

वो जो हमारा नाम ज़ुबां पर लाते हैं

बेवक़्त, बेमतलब,

हम भूलने के बाद याद

करने के बहाने नहीं रखते।


 वो जो ठुकरा कर गए हमे, 

अपनी असलियत का

आइना दिखा कर गए हमें,

वो जो हमारी नादानियों का

तमाशा बना गए।


उनकी माफ़ी का कोई

नज़राना हम नहीं रखते

बहुत कहेंगे पत्थर दिल हमें,

या कहें हममे रूहानियत ही नहीं, 

लेकिन बेवफाओं में वफ़ा बांटना। 


हम अपनी रिवायतों में नहीं रखते

वो जिनसे हम मोहब्बत करते हैं,

वो जो हमसे वफ़ा निभाते हैं,

हमारी रूह में उतरता हैं उनसे उनका,

हमारी शिद्दत-ऐ-मोहब्बत का कोई

और अंदाज़ा अब हम नहीं रखते।


Rate this content
Log in

More hindi poem from Ishani Sinha

Similar hindi poem from Romance