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Agnisha Sharma

Classics

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Agnisha Sharma

Classics

नारी

नारी

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वह शक्ति का स्वरूप है,

वह दुर्गा का रूप है।

एक जन्म में इस दुनिया में,

अनेखो रिश्ते है निभाती,

हर कदम पर बलिदान देती जाती।


माँ के रूप मेंं बनती जीवनदायनी,

पत्नी के रूप मेंं बनती अनुचारिणी।

बहू के रूप में घर को सँवारा,

बेटी के रूप में बनी सहारा।


नारी, है अत्यंत सहनशालिनी,

परंतु, अन्याय देख

हो जाती चण्डिरूपिनी।

कभी दिखाती अपना दुर्गा रूप,

तो कभी बनती सोहिनी।


है निडर, है सहासी,

है अद्भुत, है महान।

ऐसी होती है नारी,

अर्पण है चरणो में उनके,

हार्दिक श्रद्धा हमारी।


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