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Nand Lal Mani Tripathi pitamber

Inspirational

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Nand Lal Mani Tripathi pitamber

Inspirational

नारी

नारी

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सत्य सनातन में नारी नित्य 

निरंतरता अस्तित्व सत्य

अनंत का आदि प्रवाह।।


सतरूपा सृष्टि की नारी दिशा

दृष्टि ब्रह्म ब्रह्माण्ड की आत्म

प्रकाश --नारी जत्र पुज्जते

रमन्ते तंत्र देवता की

अविरल धारा की संचारी।।


ब्रह्म, ब्राह्मी विष्णु,लक्ष्मी

शिव, शिवा पौरुषता पुरुषार्थ 

अर्ध नारिस्वर अधिष्ठात्री

व्रह्मा विष्णु शिव त्रिदेवो की

ताकत त्रिदेवी देवो की 

शक्ति नारी साथ साथ ।।


राम से पहले सीता कृष्ण से

पहले राधा का नाम नारी

शक्ति की महिमा महत्व 

की पहचान ।।


अहिल्या, तारा, मंदोदरी, द्रोपती

कुंती, नारी मर्यादा मूल्यों की

सत्य सनातन की प्राण।।


अनसुईया, विद्योत्तमा, गार्गी

कौशल्या, कैकेयी, देवकी यशोदा

पुरुष पराकम की प्रेरक प्रेरणा 

देवो की जजनी।।


पञ्च महाभूतों में जल, नीर,पानी

नारी तत्व तथ्य ब्रह्माण्ड निर्माण बतलाती

गंगा,कावेरी, शिप्रा, ताप्ती,न र्वदा,

गोमती, गोदावरी, मन्दाकिनी ,

कृष्णा,नारायणी निर्मल, निर्झर

बहती नदियां नारी नीर झिर की

युग में अविरल प्रबाह।।


नारी जननी,नारी सृष्टि की धरणी

नारी माँ, बहन, भार्या के

समाज परिवार की आधार करनी

बरनी तारिणी।।


देवों की आधी शक्ति वर्तमान में

युग की आधी ताकत समय पुरुष

के साथ साथ चलती नारी आदि।।


शिक्षित नारी समाज का नाजनिर्माण         

गौरवशाली नारी से बनता

सबल सबृध्द घर परिवार समाज 

सबृध्द घर परिवार समाज से 

मजबूत राष्ट्र का आधार। 


नौ दुर्गा की रूप है नारी

बालिका मूल आधार है नारी

नारी शक्ति का सत्कार करों।।


कोख में ना मारी जाय बेटी

ना होने दो यह पाप ना स्वयं

सोचो जघन्य तुम यह अपराध।।


बेटी हो या बेटा दोनों एक 

सामान घर परिवार में बेटी

बेटों के अनुशासन के

आवश्यक एक नियम एक सिद्धान्त।।


बेटी को शिक्षा प्यार परवरिश

बेटी बेटों में फर्क नहीं हो एक

बेटी बेटा दोनों ही हो माँ बाप

की प्रतिष्ठा प्राण।।


बेटी दहशत में ना हो जब भी

घर से बाहर निकले लिंग भेद 

का ना हो शिकार।।


नारी माँ बहन जीवन साथी के

रिश्तों का सम्मान 

दहेज़ का दानव ना हो ना जले

ना बिन मौत मरे बेटी ना हो नारी

गौरव महिमा का अपमान।।


बहना है जीवन का गहना माँ

जीवन की जननी आधार जीवन

साथी है नारी पुरुषार्थ का आत्म

प्रकाश।।


बेटी हो या नारी अन्याय

अत्याचार का ना हो शिकार

युग दृष्टि की आधी शक्ति।


नारी ईश्वर परम् शक्ति सत्ता की

जननी अर्ध नारीश्वर का अवतार।।


नारी कोई अबला या खिलौना नहीं

स्वर साधना का व्यवहार।


अबला नहीं होती नारी जागृति

जब हो जाती दुर्गा काली रणचण्डी

दुष्ट दमन का हाहाकार।।


नारी कोमल कली,किसलय 

करुणा,ममता,दया,छमाँ 

की परम शक्ति का संसार।।


बाला, हाला, जीवन की मधुशाला

गरल,काल विकट विकराल।।


दुर्गा के नौ रूपों में शाश्वत युग

सृष्टि की संस्कृत संस्कार।।



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