नारी सम्मान
नारी सम्मान
नारी की चाह सिर्फ़ सम्मान
नहीं मांगती वो सोना, चांदी
नहीं मांगती वो बड़ा मकान,
नहीं कम वो किसी से,
जीना चाहे जिंदगी वो भी खुशी से,
दबाना छोड़ो उसे, उप्पर उठाओ
साथ दो, उसे भी आगे बढ़ने दो।
नारी एक रूप अनेक
हर रूप में वो बलशाली
प्यार और अपनेपन का स्वरूप वो
ममता और विशाल हृदय की मलिका वो, ,
सजल आंखें, एक मुस्कान से सब बया कर देती वो,
अपने हृदय मै कई गम भी दफ़न कर देती वो।
अपनों की खुशी के लिए सब कुछ भुला देती वो
अपनों की रक्षा हेतु आंधी - तूफ़ानों से भी लड़ लेती वो
सब कुछ सलिके से करने की हिम्मत रखती वो
एक जीव को जिंदगी देने की हिम्मत रखती वो।।
नारी है बलशाली है, हर रूप मै करतब निभाने वाली है
सम्मान करो, अपमान नहीं
जिंदगी को खुशियों से भरने वाली है।
