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Dr. Pankaj Srivastava

Abstract

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Dr. Pankaj Srivastava

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नारी शक्ति को नमन

नारी शक्ति को नमन

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नारी के अनेक रूप कभी माँ, बहन,

बेटी या जीवनसाथी का प्रारूप।


हर रोल में हिट हो, हर फ्रेम में फिट हो।


जिन्दगी की A to Z तक

बचपन से लेकर वृधावास्था तक,

हम सब को आपने ही तो सम्भाला है।


वात्सल्य की मूरत हो आप,

करुणा एवं प्रेम की सूरत हो आप।


आपके बिना हमारा जीवन अधूरा,

सानिध्य मिले तो हो परिवार पूरा।


सुख दुख हमारे तो, आपके हैं,

और आपके भी बस आपके ही हैं।


माँ का आँचल जैसे बुलेटप्रूफ ढाल,

बहन की ठिठोली जैसे होली की

फुहार।


जीवनसाथी का हाथ है,

जीवन की हर पगडंडी पर साथ है।


महिमामंडित करना नाकाफी होगा,

उनके मन को समझना ही काफी होगा।


नारिशाक्ति के सशक्तीकरण का युग है,

ये सशक्त बदलाव का कलयुग है।


बहुत कुछ मायावी नही है करना,

नारि का सम्मान करने से ना डरना।


जो आज बोवोगे वही तो कल काटोगे।

देर हो जायेगी अगर सुपुत्रों को नही डाटोगे।


कुछ बंदिशें कुलदीपकों पर भी लगाइये,

बेटियां तो असल चिराग हैं उन्हे मत बुझाइये।


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