नारी रूप
नारी रूप
बेटी भूवा भाण माँ, नारी के हो रूप।
नारी के संसार में, सारे रूप अनूप।
सारे रूप अनूप, निराली होती माया।
त्याग दया ये स्नेह, बनी ममता का छाया।
कहे भारती देख, प्यार का खेले जूवा।
देती अपनी जान, भाण माँ बेटी भूवा।
बेटी भूवा भाण माँ, नारी के हो रूप।
नारी के संसार में, सारे रूप अनूप।
सारे रूप अनूप, निराली होती माया।
त्याग दया ये स्नेह, बनी ममता का छाया।
कहे भारती देख, प्यार का खेले जूवा।
देती अपनी जान, भाण माँ बेटी भूवा।