Rina Manek
Drama
तुम आये
और
मेरी ख़ला को
मिल गयी
एक शक्ल !
अब मैं उसे सी से पुकारती हूँ !
अपनी जगह ढूँढ...
नाम
कुछ साँसें
प्यास है दिल में और प्यासी है बारिश भी, रेत है दरमियां और सूख गई है ये शाख भी। प्यास है दिल में और प्यासी है बारिश भी, रेत है दरमियां और सूख गई है ये शाख भी...
उभरे लहू को कागज़ पर उड़ेलती हूँ तब ऐसे दिल के ज़ख्मों पर मरहम करती हूँ। उभरे लहू को कागज़ पर उड़ेलती हूँ तब ऐसे दिल के ज़ख्मों पर मरहम करती हूँ।
मैं नहीं जानता अब तू ही बता धर्म क्यों हो गया हैं दीवाना तेरा। मैं नहीं जानता अब तू ही बता धर्म क्यों हो गया हैं दीवाना तेरा।
कमाकर कई साल बाद भी अपनी मां के लिए एक घर नहीं बना पाता। कमाकर कई साल बाद भी अपनी मां के लिए एक घर नहीं बना पाता।
इस क़दर मुझसे बेरुखी क्यों...बस मेरा कुसूर बता देना ! इस क़दर मुझसे बेरुखी क्यों...बस मेरा कुसूर बता देना !
इसलिए बीते दशक के लोगों का दिल खत में बसता है। इसलिए बीते दशक के लोगों का दिल खत में बसता है।
अब दिखती है हर बच्चे में, सपनों की अँगड़ाई भी । अब दिखती है हर बच्चे में, सपनों की अँगड़ाई भी ।
जिसके गलत होने पर होगी सारी जिम्मेदारी उसकी। जिसके गलत होने पर होगी सारी जिम्मेदारी उसकी।
मन के हरे हार रे संगी, मन के जीते जीत रे l इहि हमर बैरी संगी, इहि हमर मीत रे 2....... मन के हरे हार रे संगी, मन के जीते जीत रे l इहि हमर बैरी संगी, इहि हमर मीत रे ...
छाया संकट राष्ट्र पटल पर, आओ मिलकर दूर करें।। छाया संकट राष्ट्र पटल पर, आओ मिलकर दूर करें।।
वफाई अगर ना कि होती तो, अंजाम कुछ और होता वफाई अगर ना कि होती तो, अंजाम कुछ और होता
यह परीक्षा है, बोलो यह परीक्षा है पेपर बाहर है, विद्यार्थ यह परीक्षा है, बोलो यह परीक्षा है पेपर बाहर है, ...
ज़ुल्फ़ों से खेलती उन उंगलियों के क्या कहने वो दांतो से दुपट्टा दबाए बैठे है ज़ुल्फ़ों से खेलती उन उंगलियों के क्या कहने वो दांतो से दुपट्टा दबाए बैठे है
सलाह जो दी है एक तरफा करना ज़रूरी है क्या। सलाह जो दी है एक तरफा करना ज़रूरी है क्या।
कल्पना मेरी बिखरने लग गयी है उग्रता, बेचैन चिंता जग गयी है कल्पना मेरी बिखरने लग गयी है उग्रता, बेचैन चिंता जग गयी है
एक दिन जब वो आएगी, हमारी ज़िंदगी भी बदल जाएगी….. एक दिन जब वो आएगी, हमारी ज़िंदगी भी बदल जाएगी…..
दुआएँ देती माँ औलाद विकास की, क्योंकि माँ तो फिर भी माँ होती है। दुआएँ देती माँ औलाद विकास की, क्योंकि माँ तो फिर भी माँ होती है।
ख़ुदा को ही दोषी बनाओ नहीं, ख़ुदी को सदा आज़माते रहो । ख़ुदा को ही दोषी बनाओ नहीं, ख़ुदी को सदा आज़माते रहो ।
वरना इस बात का कोई अफ़सोस नहीं कि माँ के तीन भाई हैं और मेरा एक भी नहीं....... वरना इस बात का कोई अफ़सोस नहीं कि माँ के तीन भाई हैं और मेरा एक भी नहीं.......
प्यारी वो उसकी बातें भी प्यारी उसकी आवाज़ से भी प्यार हो ही गया। प्यारी वो उसकी बातें भी प्यारी उसकी आवाज़ से भी प्यार हो ही गया।