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लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव

Classics Inspirational

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लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव

Classics Inspirational

नाकामी से लगता डर

नाकामी से लगता डर

1 min
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जब जीवन में हो नाकामी,

तो लगता है कितना डर!

पर बार बार कोशिश करने से,

जीत मिले, डर होता बेघर!!


जीवन में कभी न घबराएं,

न डर कर ही छोड़े मैदान!

बुलंद हौसला कर जुटे रहे,

सफ़ल बने, बढ़ जाए शान!!


डर के आगे जीत ही होगी,

प्रण कर यह हम ठान लें!

दुनिया होगी मेरी मुट्ठी में,

निश्चित हम यह जान लें!!


पूर्ण समर्पण, कठिन परिश्रम,

मन का डर दूर भगा दें!

हम होंगे क़ामयाब जरूर,

जो ख़ुशियों का फूल खिला दें!!


डर डर जीने से अच्छा है,

जी जान लगा कर जुट जाएं!

एक न एक दिन मिले सफलता,

इतिहास में अमर हम हो जाएं!!


पैदा करें जुनून जीवन में,

डर कर पीछे न हट जाएं!

नील गगन को छू ले हम,

कोई भी रोक न पाएं!!


पग पग पर तूफ़ान मिले,

उसे भी पार कर जाएं!

पर्वत की हो ऊँची चोटी,

बस! हिम्मत कर चढ़ जाएं!!


मौत दिखे रास्ते में भी,

उसे भी पछाड़ बढ़ जाएं!

संघर्षों से डर खत्म हो,

ख़ुशियों के गीत हम गाएं!!


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