नादान दिल, संभल जा।
नादान दिल, संभल जा।
दिल दे के इक तरफ़ा, हम चले थे दुनिया बसाने,
नादान ये नासमझ सा दिल,
इसे क्या पता ये सब बस ख़याली पुलाव है
बह गया उसीके ख्यालो में,
नील गगन सी उसकी आँखों में,
घुँघरालु बालो में, चम-चम सी मीठी उसकी बातों में,
वफ़ा-इ-इश्क़ हम करते रहे,
हमे क्या मालूम ये तो इश्क़ की गहराई है !
ढूंढने निकले थे किनारा, अपनी ही कश्ती में दुब गए।