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Chandan Kumar

Romance

3  

Chandan Kumar

Romance

न तू साथ है ना तेरी याद साथ है

न तू साथ है ना तेरी याद साथ है

2 mins
343


अपने इस दिल की सरजमी में

जो लिखा था मैंने तेरा नाम

हर दिन जो सजाये थे सपने जो

वादे किये थे जो कसमें ली थी हमने

हर हाल में साथ जीने मरने के,

खुशी हो या ग़म बस साथ रहने के।


हर पल जो साथ देने की बात की थी

तुमने,

हाथों में थामे हाथ जो चलना था हमे,

कहती थी कि ताउम्र साथ निभाऊंगी

मर कर भी न छोड़ के तुम्हें जाउंगी।


क्या हुआ उन कसमों का जो तुमने

खाये थे,

क्या हुआ जो तुमने साथ जीने मारने के

सपने संजोये थे,

मर कर भी जुदा न होंगे ऐसा प्यार था

हमारा तो क्यों इस मझधार में छोड़ गई

किसी दूजे के लिए।


माना कि रूठा था मैं तुमसे पर तुमने भी

तो मनाने की कोशिश न कि कोई।

हर बार जब तुम रूठती थी हर बार

मैं ही तो मानता था तुम्हें।

एक बार तो नाराज़ हुआ मैं भी

क्या इतना भी हक़ नहीं था मुझे।


अब जा रही हो जिंदगी से मेरी तो वापस

कभी न आना,

जो देखे थे सपने साथ के हमने आज भी

मुझे याद है,

तुम हो या न हो साथ मेरे भी किसी

का साथ है।

हाथ छुड़ा कर जो चली गयी तो क्या हुआ

खाली नहीं मेरे भी हाथ है।


सपने जो हमने संजोये थे आज भी पूरे होंगे

बस फर्क ये होगा कि न तू साथ है न तेरी

याद साथ है।



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