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Lokanath Rath

Abstract

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Lokanath Rath

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मुस्कुराते रहो...

मुस्कुराते रहो...

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हमारे मुस्कुराने से अगर किसे खुशी मिलती ,

अगर मुकुराहट से किसी की जिन्दगी बदल जाती ,

मुस्कुराते हुए अगर दूसरों को गले लगता,

और ये मुस्कुराना अगर गैरों को अपना बनाती ,

तो फिर ये मुस्कुराहट हमारी आदत बन जाती .


बड़ी मुश्किल से मिली है हमें ये जिन्दगी,

पता नहीं कबतक ये हमारा साथ देगी,

अभी तो मिला है, जिनेको कहता जिन्दगी,

जबतक है साथ समझो हमारा ये खुशनसीब,

बरना कब चला जाये कमबख़्त दो पल की जिन्दगी.


अब मुस्कुराना हमारा बन गई है तो आदत,

कभी रोने के बाद बन जाती है हमारी ताकत,

कभी हमारी सूरत को बनाती है खूबसूरत,

कभी मुश्किल घड़ी मे करती है शरारत,

बरना जिन्दगी के सफर मे आजाती बड़ी क़यामत.


जिन्दगी की डोर किसी के हाथ कभी नहीं होती ,

ये तो सदा समय के साथ चलते रहती ,

समय और जिन्देगी किसी के वश मे नहीं होते,

खुदकी ओठों की मुस्कुराहट तो अपने होते,

फिर मुस्कुराना हम मरनेसे पहेले कैसे भूल जाते?


मुस्कुराते रहो और खुशियाँ बाँटते ही रहो,

दो पल की जिंदगी को जी भर के जियो,

दुःख मे भी सबको मुस्कुरा के जीना सिखाओ,

जाते जाते मुस्कुराते सबको भी अलबिदा कहो,

और सबके मुस्कुराहट की तो वजह बनो.


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