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Fazlur Rahman

Romance

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Fazlur Rahman

Romance

"मुलाक़ात"

"मुलाक़ात"

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दिलों में शिकवे जो हों तो उस को भुलाने आजा

दूरियां हों जो अगर तो उस को मिटाने आजा,

इक बार मिल के करेंगे फिर हम शाम रंगीन

न हो जो आने का मन तो टहलने के बहाने आजा,

न आना हो जो तुम्हें तो ये बुरी बात नहीं

फिर भी इक बार मुझे वजह उसकी बताने आजा,

अपना पता तुम्हें न खबर मंजि़ल की मुझ को है

आ उन्हीं ख्वाहिशों को इक बार सुनाने आजा,

न जाने कब हो ऐसा इत्तफाक के हम फिर से मिलें

कम से कम यही सोच के दिल बहलाने आजा।



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