इतिहास से वर्तमान तक
इतिहास से वर्तमान तक
ये तेरा घुट - घुट के जीना
आँसुओं को खुद ही पीना
और फिर भी झुक के जीना।
ये हमारी दास्ताँ है
जो हमारी पूर्वकथा है!
खून की खेली थी होली
और चिता की थी दिवाली
उस पे अंग्रेजों की गोली
शहीदों हमारा तुम्हे सलाम
अब नही हैं हम गुलाम !
हम हैं उस मिट्टी के वासी
जो नहीं है अब वो दासी
हम सभी हैं देशवासी
निर्पेक्षता ही वो आस्था है
जो हमारा रास्ता है।
