मुक्तक: अनुभव का कोई मोल नहीं
मुक्तक: अनुभव का कोई मोल नहीं
सच्चाई का कोई झोल नहीं होता
प्रेम से मीठा कोई बोल नहीं होता
रिश्ते नातों में कोई तोल नहीं होता
अनुभव का भी कोई मोल नहीं होता
अनुभव तो ठोकर खाने से ही आता है
हरेक आदमी कुछ न कुछ सिखाता है
जितना तपाओगे सोने को आग में वह
उतना ही खरा होकर और निखर जाता है
अनुभव को भी जोश की जरूरत है
होश के बिना जोश तो कयामत है
अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता
एक और एक में ग्यारह की ताकत है।
