मुखौटा
मुखौटा
मानव का रूप
मिल जाने से
मानव कोई
नहीं हो जाता
मानवता और
इंसानियत
मानव की
अमूर्त और अनमोल
पूंजी है
यह पूंजी
जिसके पास
होती है
सही मायने में
मानव वही
होता है
मानव तन पाकर
हैवान वाली
हरकत है
जानवरों जैसा
विचार है
तो फिर वो
मानव कहां है
वह तो
आधा इंसान
और आधा दानव है।
