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Rajni Sharma

Abstract

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Rajni Sharma

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मुझे मुझ सा ही रहने दो...

मुझे मुझ सा ही रहने दो...

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मैं जो हूँ, मैं जैसी हूँ।

मुझे वैसा ही रहने दो।

मैं तुम नही हो सकती।

तुम मुझे, मुझ सा ही रहने दो।


तुम तुम हो, और मैं तुम नही हो सकती हूँ।

तुम अपने से तुम ही रहो।

मैं तुम होने को मेरा मैं नही खो सकती हूँ।


तुम अर्श हो, अर्श रहो।

मुझे जमीं सा ही रहने दो।

मैं जो हूँ, मैं जैसी हूँ।

मुझे वैसा ही रहने दो।


तुम रोशनी हो, तुम चाँद हो।

मैं सुर्ख अंधेरा, और रात हूँ।

तुम चार दीवारी का महल हो।

मैं एक चिड़िया आज़ाद हूँ।


तुम एक नामी शख्शियत हो।

मुझे गुमनाम शायर ही रहने दो।

तुम एक अलग पहचान हो अपनी,

मुझे अपनी पहचान कर लेने दो।

मैं जो हूँ, मैं जैसी हूँ।

मुझे वैसा ही रहने दो।


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