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RISHABH TYAGI

Tragedy

3  

RISHABH TYAGI

Tragedy

मुझे देश से प्रेम नहीं

मुझे देश से प्रेम नहीं

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इल्ज़ाम लगाते हो मुझपे

कि मुझे देश से प्रेम नहीं। 

तुम खून बहाना चाहते हो 

मैं प्रेम की बातें करता हूं।

 

तुम आग लगाना चाहते हो

मैं गीत अमन के गाता हूं। 

तुम खूनी से घुर्राते हो, 

मैं जब जब नारे कहता हूं। 


तुम कितने खुल्से बैठे हो,

मैं सच को जो दोहराता हूं।

तुम्हे आदत नहीं जो सुनने की,

मैं लोकगीत वो गाता हूं।


इल्ज़ाम लगाते हो मुझपे 

कि मुझे देश से प्रेम नहीं।


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