मर्यादा
मर्यादा
ना बांधो मुझे मर्यादा की जंजीरों में
कली हूं खिल जाने दो।
कुछ सुनहरे ख्वाब है
मेरे इन आंखों में,
उन्हें भी पूरा हो जाने दो।
ना बांधो मुझे मर्यादा की जंजीरों में।
दरिया हूं समंदर में मिल जाने दो।
अक्स मेरा भी दिखे इस जहां में,
खुशबू हूं चमन में बिखर जाने दो।
