मोहब्बत
मोहब्बत
सफर ये जिंदगी का दिल ने, फिर से गुनगुनाया है,
जाने कौन है अपना, जाने कौन पराया है ।
मुसीबत में तुम्हारे साथ हूँ, इतना कोई कह दे,
तपती धूप में भी लगता, सावन लौट आया है ।
मोहब्बत का ये जो बीज, दिल में बो गया हूँ में,
चाँद तारों संग नभ में, खो गया हूँ में,
अनुराग के दिलकश भरे, एहसास से जाना,
सूखा वृक्ष था पहले, हरा फिर हो गया हूँ में ।
तन्हा भले ही हूँ, मगर कोई साथ रहता है,
दूर है लेकिन, वो दिल के पास रहता है ।
जिंदगी की कशमकश में, भूले भी गर वो,
हमारी जाँ हमारा दिल, उसको याद रखता है ।
विष को भी बना दे जो, अमृत का प्याला है,
धूप में जो छाँव लाये, वो मेघमाला है ।
इस अनूठे प्यार के किस्सों का क्या कहना,
अमावस के अन्धेरे में, ये पूनम का उजाला है ।
