मन कुटिल......हो तो गुण......
मन कुटिल......हो तो गुण......
स्त्री चरित्र.....लहर
भावनाओं.......की
व्याख्या........नहीं
अनुभूति....जरूरी
मन कुटिल......हो
तो गुण..........भी
दिखते.........दोष
चरित्र..........पुरुष
आक्रामक ......
..........शोषणकारी
स्त्री चरित्र....चालों
कूटनीतिक बिसात
स्त्री चरित्र.....लहर
भावनाओं.......की
व्याख्या........नहीं
अनुभूति....जरूरी
मन कुटिल......हो
तो गुण..........भी
दिखते.........दोष
व्याख्या रावण जैसे
महापंडित...........
लंका ......... कांड
मंदोदरी पति..रावण
राजनीतिक....भाषा
उतर आई...चरित्र में
................कुटिलता
स्त्री चरित्र.....लहर
भावनाओं.......की
व्याख्या........नहीं
अनुभूति....जरूरी
मन कुटिल......हो
तो गुण..........भी
दिखते.........दोष
बताया स्त्रियों की..आठ
खूबियों को...........दोष
पहले कहा- ........साहस
स्त्री सबसे बड़ी...साहसी
रखती मातृत्व की क्षमता
हो सकता भी हैं..........
प्रसव मृत्यु को..आमंत्रण
स्त्री चरित्र.....लहर
भावनाओं.......की
व्याख्या........नहीं
अनुभूति....जरूरी
मन कुटिल......हो
तो गुण..........भी
दिखते.........दोष
दूसरा- अनृत यानी झूठ
रावण कहता...........है
बोलती स्त्रियां झूठ बहुत
पुरुष इसमें कम...पड़ता
स्त्री की चंचलता......वह
बताता............ ..है दोष,
चंचलता उसका खुलापन
स्त्री चरित्र.....लहर
भावनाओं.......की
व्याख्या........नहीं
अनुभूति....जरूरी
मन कुटिल......हो
तो गुण..........भी
दिखते.........दोष
माया को छल....बताकर
कहता है स्त्री होती..छली
स्त्री अपनी देह के.कारण
मानी गईं..............माया
वह होती...........डरपोक
घर - परिवार......के लिए
तैयार...कुछ भी करने को
स्त्री चरित्र.....लहर
भावनाओं.......की
व्याख्या........नहीं
अनुभूति....जरूरी
मन कुटिल......हो
तो गुण..........भी
दिखते.........दोष
स्त्री का........विवेक
विवेकहीन..अविवेक
मुकाबले.....पुरुष के
होता जागा हुआ.......
कुछ अधिक............
अपवित्रता .........और
रूप............निर्दयता
जोड़ा उसने.....
स्त्रियों के...........दोष
स्त्री चरित्र.....लहर
भावनाओं.......की
व्याख्या........नहीं
अनुभूति....जरूरी
मन कुटिल......हो
तो गुण..........भी
दिखते.........दोष
रावण............जैसे
समाज में प्रति...स्त्रि
टिप्पणियां.....समूची
विरोधी...मानवता के
राम ऐसे ही......आए
रावण को.......मिटाने
थे.............धरती पर
स्त्री चरित्र.....लहर
भावनाओं.......की
व्याख्या........नहीं
अनुभूति....जरूरी
मन कुटिल......हो
तो गुण..........भी
दिखते.........दोष।