मित्रता
मित्रता


मित्र वो नहीं
जिसके आने पर
उसके जाने की सोचने लगें,
मित्र वो नहीं जिसके आने पर
उसके खाने की सोचने लगें
मित्र वो नहीं जिसके आने पर
अपनी वेश-भूषा की सोचने लगें,
मित्र वो भी नहीं जिसके आने पर
अपने घर की अस्त-व्यस्तता को सोचने लगें,
मित्र वो नहीं जिससे आंखें चुराने लगें
मित्र तो वो है जो आपको देखते ही
आपसे मिलने को कदम बढा ले,
मित्र तो वो है जिसको देखते ही
आपका दिल मुस्कुराने लगे
मित्र तो वो है जिसको देखते ही
आपका चेहरा खिलखिलाने लगे,
मित्र तो वो है जिसको देखते ही
आप मधुर स्मृति में
खोने लगे
मित्र तो वो है जो आपको देखते ही
आपकी मनोदशा को पढ ले,
मित्र तो वो है जो वर्षों बाद भी
जब मिले तो पहले की तरह ही मिले,
संभाल कर रखना इस अनमोल रिश्ते को क्योंकि
मित्र के बिना ये संसार अधूरा है,
जो स्वार्थ से परे नि:स्वार्थ पर टिका है,
विश्वास का आधार लिए खड़ा है,
दिल की गहराइयों से जो जुड़ा है,
इसीलिए मित्रता हर रिश्तों से बड़ा है
पर मित्रता कायम भी रहता है
तभी प्रत्युत्तर भी जब ऐसा ही मिलता रहे,
एक हाथ से ताली बजती नहीं
दोनों हाथों को मिलाते रहो
मित्र जिससे दिल में स्नेह ध्वनि बजती रहे ।