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M S

Abstract Romance Tragedy

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Abstract Romance Tragedy

मिलन नहीं नामुमकिन

मिलन नहीं नामुमकिन

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बंजर माटी में फूल खिला,

फूल सुन्दर लाल गुलाब का।

माली जिसने पानी डाला,

मांगे अंत अपने हिसाब का।

फूल को एक भँवरा भाए ,

भँवरा भी कमाल का।

माली चाहे इत्र बनाना,

भँवरा चाहे फूल को पाना।

फूल की इच्छा उड़ जाना,

भंवरे के संग लहराना।

माली ने हुंकार दिखाया,

फूल को बाड़ में छिपाया।

भँवरा फूल को देख न पाए, 

बाड़ के चारों चक्कर लगाए। 

माली जीत की खुशी मनाता, 

इत्र बनाने की तरकीब लड़ाता। 

फूल बिन सूरज मुरझा जाता, 

माटी ज्यूं बंजर बनता जाता। 

गुलाब पत्ते छोड़ रहा है, 

भँवरा भी दम तोड़ रहा है। 

एक रात तूफ़ाँ आएगा, 

बाड़ हवा में उड़ जाएगा। 

फूल जमीं पर पड़ा होगा, 

भंवरा धरती में गढ़ा होगा, 

जो मरे फूल से इत्र बनेगा, 

उस इत्र से भला क्या होगा? 



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