महसूस करो
महसूस करो
जब भी चलती है पुरवाई
दिखती नहीं ये हवा
शीत महसूस होती है
दिखती नहीं चमन में
कभी देखी है क्या आँख से
महक चंदन की फूलों की ?
वैसे ही तुम बसे हो
ईश्वर तुम मेरे मन में !
श्रद्धा कभी दिखती नहीं
सिर्फ महसूस होती है !
प्यार किया नहीं जाता
प्यार तो हो जाता है !
क्यूँ रोज रोज ये पूजा ?
खाते हो ना सुबह शाम ?
वैसे ही लेते रहो
मुख से तुम प्रभु का नाम !