महाबल का आराधन
महाबल का आराधन
जगत पिता जगदीश को भी
जिस पर अत्यधिक भरोस
पवन अंजना तनय के नाम
से रोग, दुख भागें सौ कोस
कुछ भी असंभव नहीं उनके
लिए, दिल में सदा राम अटल
सो हनुमानजी के नाम जाप से
प्रबल होता सबका आत्मबल
मैं आश्रय लेकर प्रभु श्रीराम का
नित करूं महाबल का आराधन
आप दोनों को पता कि जग में
नहीं, कोई और मेरा अवलंबन
अपनी जीवन नैया को कर रखा
प्रभु आप दोनों के ही हवाले
जैसी इच्छा हो आपकी प्रभु वैसे
मेरे जीवन को इस भव में संभालें।