मेरी प्रेम कहानी
मेरी प्रेम कहानी
हर किसी की कहानी होती हैं
किसी की पूरी तो किसी की अधूरी होती हैं।
ये दोस्त मेरी भी कुछ कहानी हैं।
ये राधा भी किसी कृष्ण की दीवानी हैं।
हर किसी के बस की बात है ये प्यार करना।
पर कभी जान पर आ गए इसे हासिल करना।
कभी अपनों ने टोका कभी सपनों ने टोका।
की, हर बार गवाया तुझे पाने का मौका।
कभी जात टोके कभी बात टोके।
कभी दौलत टोके कभी शोहरत टोके।
फिर जाकर बात मुझ पर ही रुके।
की ये प्यार आसान नहीं।...
बात कुछ इस कदर बदल गई।
ना साथ जी सकते ना साथ मर सकते।
पता था मुझे जुदा होना ही था।
पर भी दिल ने कहा कुछ भी कर सकते।
इस प्यार के जुनून में हमें खुद को खो दिया।
हर रात आखों में जमा धूल धो दिया।
की कुछ इस कदर हमने दिल को बांध दिया।
की मेरे दिल को उसके दिल के साथ तौल दिया।
हो गया वो मुझसे दूर मेरे अपनों के खातिर।
क्युकी वो जानता था मेरा डर आखिर।
मेरा डर कुछ और नहीं बल्कि सिर्फ जात थीं।
मेरे अपनों के लिए ये सबसे बड़ी बात थी।
अब जुदा हुआ मेरा सनम कुछ इस कदर।
वो नाही मेरा हुआ, मेरा अपना हो कर।
रूह से जुड़ी चीजें कैसे भूली जा सकती हैं।
रूह से बंधी डोरी केसे तोड़ी जा सकती हैं।
मैं कुछ ना समझी ये कैसे हो गया।
मेरे किताब का आखरी पन्ना खो गया।
अब कैसे पढ़ेगा ये जमाना मेरी कहानी को।
शुरुआत तो अच्छी थी पर अंत का ठिकाना खो गया।

