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Borge Maneesha

Others

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Borge Maneesha

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मेरे गांव की धरती

मेरे गांव की धरती

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हे! मेरे गांव की धरती,

तेरा नाम स्वर्ग काश रहे।

जहां एक घर दुःख वहाँ,

सारा गांव ही हताश रहें।

तुझे अब क्या नाम दूं मैं?,

जहां घर नहीं ,परिवार रहे।

मिलकर शिल्पी, धोबी, नाई,

चमार संग मोची, कुम्हार रहे।

अलग-अलग भाषा और बोली,

अलग रंग, संग, संस्कार रहे।


हे!, मेरे गांव की धरती,

तेरा नाम काश प्यार रहे।

जहां उपजे अनाज जिस पर,

निर्भर होकर सारा संसार रहे।

खाने को चावल, गेहूं और सरसों,

दाल, अनाज, बाजरा, जवार रहे।

जहां खेती - हरियाली संग,

सब्जी फल फूलो का बहार रहे।

जहां सुबह- सुबह चिड़िया की बोली,

लोक- गीत और कोयल की कुहार रहें।


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